बिहार विधनसभा चुनाव 2020

2020 बिहार विधनसभा चुनाव बहुमूखी।

बिहार की राजनीति बहुत खास होती है। हर बार कुछ नया रंग दिखती है। 2015 के ही चुनाव को ही याद कर लिजिए। कैसे कनपटी भर सिन्दूर से बिना मेल वाला शादी हम सभी ने देखा। बाद में तो एक भाग भी गया गठबंधन छोड़ के। पर अब ये बात पुरानी है।

अब साल 2020 है और नई चुनौती भी है। इस बार चुनाव के बहू मुख है। 

साख 
नीतीश कुमार के लिए ये चुनाव बहुत ही खास है। ये चुनाव के परिणाम ही उनके राजनीति का भविष्य तय होगा। 2019 लोक सभा चुनाव में उनका उतना कोई भूमिका नहीं था। नीतीश कुमार से सिर्फ जनता ही नही बल्कि उनके सहयोगी दलों में भी नाराजगी जाहिर किया है समय-समय पर। 2017 में गठबंधन छोड़ दिया था उसका भी इनको टेस्ट देना होगा। लोक जन शक्ती पार्टी से भी आज कल इनकी पार्टी का टकराव दिखाई दे रहा है। कुल मिलाकर ये नीतीश कुमार के लिए साख की बात है 2020 की चुनाव। 

विरासत 
तेजश्वी यादव के लिए ये चुनाव विरासत को आगे बढ़ाने और खुद को स्थापित करने के लिए मौका है। समस्या इनके लिए भी कम नही है। महागठबंधन के सहयोगी दल इनको आँख दिखा रही है और दवाब बना रही है। मांझी बार बार अपनी माँग पर कायम है। कांग्रेस भी चेहरा मान ने से इंकार कर रही है। पार्टी और परिवार को भी संभाल कर रखने की जिम्मेदारियां है। पार्टी और परिवार को भी खुश रखना है। जडीयू भी बार बार पार्टी तोड़ ने की बात करता है। 15 साल जो राज्य हाल रहा और MY समीकरण से आगे की बात। कितना सफल होते है ये तो आने वाले दिनों में पता चलेगा। 

महत्वाकांक्षा
चिराग पासवान और पप्पू यादव ने अपना महत्वाकांक्षाओं को खुल कर बताया है। 2015 में RJD से यही कारण बहार किय गए थे। हर बार पप्पू यादव ने आपदा को अवसर में बदलने का भरपूर प्रयास किया है। वो बाढ़ हो,राज्य में कोई घटना और करोना काल में। देखना ये है की पप्पू यादव कितना प्रभावित किया है जनता को। 
चिराग पासवान ने हाल मे एक इंटरव्यू में बोला है कि अगर मुख्यमंत्री बन गया तो बहुत काम कर ने का अवसर मिलेगा।
इस में एक खास नाम और है। पुष्पम प्रिय चौधरी जिन्होनें एक विज्ञापन से बताया की वो भी है दावेदार।

वर्चस्व 
आशुतोष जो की भूमिहार ब्राहमण मंच के अध्यक्ष हुआ करते थे और अब RJJP पार्टी के है। इनका मुख्य मुद्दा ये है कि इनकी जाती की जो प्रतिनिधित्व करने का मौका नही मिल रहा है। ये भी चुनाव में रंग जामाने और विरोधी को बेरंग को तैयार है। 
चंद्रशेखर आजाद जो भीम आर्मी है जो खुद को दलित समाज के नेता के तौर पर खुद को पेश कर रहे है। वो भी बिहार चुनाव में आने की बात कर चुके है। 
ओवेसी भी सीमन्चल में अपना दम दिखाना चाहते हैं। 2019 विधनसभा उपचुनाव में इनका एक विधायक पंहुचा है।

नए दौर 
ये पूरे परिणाम पर निर्भर करता है। अगर मुख्यमंत्री कोई और बन जाता है तो एक नया अध्याय शुरू हो जायेगा। अभी तक जो भी मुख्यमंत्री बने है पिछ्ले दशक में वो सभी जे पी मूवमेंट के समय अपनी पहचान राजनीति में बनाया है। 

चुनाव के बाद ही पता चल पायेगा आखिर कब शुरू होगा नया अध्याय बिहार के राजनीति में।

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